Thursday, December 23, 2010

अच्छा लगता है

तनहाई का चेहरा अक्सर सच्चा लगता है|
खुद से मिलना बातें करना अच्छा लगता है। |१|

दुनिया ने उस को ही माँ कह कर इज़्ज़त बख़्शी|
जिसको अपना बच्चा हरदम बच्चा लगता है। |२|

वक्त बदन से चिपके हालातों के काँधों पर|
सुख दुख संग लटकता जीवन झोला लगता है|३|

हम भी तो इस दुनिया के  वाशिंदे हैं यारो|
हमको भी कोई बेगाना  अपना लगता है। |४|

सात समंदर पार रहे तू,  कैसे समझाऊँ|
तुझको फ़ोन करूँ तो कितना पैसा लगता है। |५|

मुँह में चाँदी चम्मच ले जन्मे, वो क्या जानें?
पैदा होने में भी  कितना  खर्चा लगता है। |६|

शहरों में सीमेंट नहीं तो  गाँव करे भी क्या|
उस की कुटिया में तो  बाँस खपच्चा लगता है। |७|

वर्ल्ड बॅंक ने पूछा है हमसे,  आख़िर - क्यों कर?
मर्सिडीज में भी  सड़कों पर झटका लगता है। |८|

दुनिया ने जब मान लिया फिर हम क्यूँ ना मानें!
तेंदुलकर हर किरकेटर का चच्चा लगता है। |९|

-नवीन चतुर्वेदी

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