काफी अरसा बीत गया ,
ना जाने वो कैसी होगी .
वक़्त की सारी कडवी बातें
चुप चुप के वो सहती होगी .
अब भी भीगी बारिश में वो
बिन छतरी के चलती होगी .
मुझसे बिछड़े अरसा हो गया .
अब वो किससे लडती होगी .
अच्छा था जो साथ में थे ..
बाद में उसने सोचा होगा .
अपने दिल की सारी बातें ,
खुद ही खुद से करती होगी ..
आंखे नाम भी होती होगी .
याद वो जब भी करती होगी .
काफी अरसा बीत गया..
ना जाने अब वो कैसी होगी ..
Dr. Chirayu Mishra
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