Thursday, December 16, 2010

और हम भुला ना सके ...

महोबत  से  महोबत  को  पा  न  सके ...
अपना  हाल - ए -दिल  उन्हें  जता  ना  सके .
बिन  कहे  ही  सब  पढ़   लिया  उनकी निगाहों  ने ..
और  हम  चाहकर भी  नज़रें  चुरा  ना  सके ..
आज  वो  दूर  सही  हमसे  लाख  मगर ,
खुद  को हमसे आजाद करा ना सके ...
कुछ  टूटे  वो ,
और  कुछ  हमे  तोड़  गए ..
और  एक  हम  थे
जो  खुद  को  बचा  ना  सके ..
ना  माँगा  हमने  ज़िन्दगी  भर  का  वादा  उनसे ..
वो  तो चार  दिन का भी साथ निभा ना सके ..
अब कहते है  की  वो  प्यार  नहीं  खेल  था ...
और  हम  उस  खेल  के  कायदे  भुला  ना  सके ...
न  जीत  सके  वो  कभी  हमसे ..
और  अपने  से  हम  उन्हें  कभी  हरा  ना  सके ,,
थोडा  वो  तो  थोडा  हम  हँसे  साथ  में ...
पर  उस  जीत  के  बाद  भी  कभी  मुस्कुरा  ना  सके ...
गम  ये  नहीं  की  वो  ख़फा  है  हमसे..
गम - ए  -उल्फत  से  कभी  उन्हें  गुज़रा  ना  सके
फिर  भी  एक  ठंडक  सी  है  दिल  में  मेरे ...
के  वो  भूले  नहीं ....
और  हम  भुला  ना  सके ...


Dr. Chirayu Mishra

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