Tuesday, October 18, 2011

सीख ले......

कोई रात पूनम
तो कोई है अमावस...
चांदनी उसकी
जो चाँद पाना सीख ले...
यूँ तो सभी आये है
जहाँ में रोते हुए
पर सारा जहाँ है उसका,
जो मुस्कुराना सीख ले...
कुछ भी नज़र न आये
अंधेरों में रहकर
रौशनी है उसकी
जो शमा जलना सीख ले...
हर गली में मंदिर
हर रह में मस्जिद है...
पर ईश्वर है उसका
जो सर झुकाना सीख ले...
हर सीने में दिल है
हर दिल में प्यार है...
प्यार मिलता है उसको
जो दिल लगाना सीख ले..
लोगो का काफिला
उसीके साथ होता है...
जो सच्चे दिल से
रिश्ते निभाना सीख ले...
ख़ुशी की तलाश में
ज़िन्दगी गुज़र जाती है...
पर खुशियाँ उन्ही को मिलती है..
जो दुसरो के गम मिटाना सीख ले......

Tuesday, October 11, 2011

आप सभी का कोटि कोटि धन्यवाद.....

शरद ऋतू की इस भव्य एवं पावन पूर्णिमा के दिन ही मैंने इस भू-लोक पर जन्म लिया था....... और समय ने आज फिर से उस दिन को मुझसे मिलाया...... शुक्रिया करता हूँ... माता-पिता का.... गुरुओ का.... ईश्वर का... मित्रो का.... परिवारजनो का.... और उन सभी लोगो का..... जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर... आज सफलता के नए सोपानो पर ला खड़ा किया......

आप सभी का कोटि कोटि धन्यवाद.....

आपका चेतन......
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On the Full moon of Autumn Season.... I land on this Earth..... and today Again this day come in my life.... I am Thankful to Parents.... My teachers.... God.... All Friends... Dearest Family Members.... and all those people who supported me directly or indirectly,,, and make my A Successful boy on this earth.....

Thank you all millions of time......

Yours Chetan Kumar Bhandari

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~~~~~शरद पूर्णिमा~~~~

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं... सम्पूर्ण वर्ष में आश्विन मास की पूर्णिमा का चन्द्रमा ही षोडस कलाओं का होता है...मान्यता हैं कि... इस दिन चन्द्रमा अमृत की वर्षा करता है.... इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं....

कहते हैं कि.... इस रात को भगवान श्रीकृष्ण ने... अपनी भक्त गोपियो को महारास के लिए निमंत्रण दिया था...और... गोपिया भी लोक लाज छोड़कर, व्रज से वृन्दावन दौड़ी चली आई थी....

रासलीला को लेकर लोगो मे तरह तरह की भ्रांतिया हैं...और कई लोग मे रासलीला के साथ साथ श्रीकृष्ण के 16000 शादियो वाले प्रसंग को लेकर गलत धारणाए हैं... रुक्मणी महारानी थी...उनकी सात अन्य रानियाँ थी ....सत्यभामा, जांबवती, कालिंदी, मित्रविन्दा, सत्या, भद्रा...और कक्षमना... ये आठों रानिया दरअसल प्रकृति के आठ मूलभूत स्वभाव को दर्शाती है...इसका गहरा अर्थ ये भी है की ये आठों सिधान्त भगवान श्रीकृष्ण के नियंत्रण मे हैं...