Monday, December 20, 2010

दोस्ती

कुछ  यादें  है  उन   लम्हों  की ..
जिन  लम्हों  में  हम  साथ  रहे ..
खुशियों  से  भरे  जस्बात  रहे ..
एक  उम्र  गुजारी  है  हमने ..
जहा  रोते  हुए  भी  हस्ते  थे ...
कुछ  कहते  थे  कुछ  सुनते  थे ..
हम  रोज़  सुबह  जब  मिलते  थे ..
तोह  सब  के  चहरे  खिलते  थे ...
क्या  मस्त  वो  मंज़र  होता  था ..
सब  मिलकर  बातें  करते  थे ..
हम  सोचो  कितना  हस्ते  थे ..
वो  गूँज  हमारी  हंसने  की ..
अब  एक  पुराणी  याद  बनी
ये  बातें  है  उन  लम्हों  की ...
जिन  लम्हों  में  हम  साथ  रहे .....

chetan bhandari

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