कुछ यादें है उन लम्हों की ..
जिन लम्हों में हम साथ रहे ..
खुशियों से भरे जस्बात रहे ..
एक उम्र गुजारी है हमने ..
जहा रोते हुए भी हस्ते थे ...
कुछ कहते थे कुछ सुनते थे ..
हम रोज़ सुबह जब मिलते थे ..
तोह सब के चहरे खिलते थे ...
क्या मस्त वो मंज़र होता था ..
सब मिलकर बातें करते थे ..
हम सोचो कितना हस्ते थे ..
वो गूँज हमारी हंसने की ..
अब एक पुराणी याद बनी
ये बातें है उन लम्हों की ...
जिन लम्हों में हम साथ रहे .....
chetan bhandari
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