This blog Belongs to Dr. Chetan Bhandari (INDORE WALE)
Tuesday, December 14, 2010
तलबगार है बहुत....
उस दिल-ए-हस्ती को हमसे प्यार है बहुत.....
मगर वो शख्स भी फ़नकार है बहुत.....
ना मिले....
तो मिलने की जुस्तजू भी नहीं करता....
ना मिले....
तो मिलने की जुस्तजू भी नहीं करता....
और मिलता है ऐसे
के मेरा तलबगार है बहुत....
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