Wednesday, April 14, 2010

लूट लिया जिसने दिल को --gazal by shyam skha

यूँ तो वो चितचोर न था
दिल पे मेरा ही जोर न था

लूट लिया जिसने दिल को
वो मामूली चोर न था

अँखियाँ बरसीं, मन भीगा
नाचा मन का मोर न था

दिल का शीशा टूट गया
और कहीं कुछ शोर न था

दुख को देखा दूर तलक
दुख का कोई छोर न था

भरी दुपहरी सूरज गुम
बादल भी घनघोर न था

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