Sunday, April 4, 2010

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,

 तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा , 

एक झूठ है आधा सच्चा सा . 

जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
 
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
 
 जीवन का एक ऐसा साथी है , 

जो दूर हो के पास नहीं .
 
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , 

तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
 
हवा का एक सुहाना झोंका है , 

कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
 
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले , 

कभी अपना तो कभी बेगानों सा
 
. जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,

जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
 
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,

तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
 
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,

यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
 
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
 
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .
 
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है , 

पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
 
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , 

तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .........

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