आँखों में असबाब हज़ारों रखती है,
वो लड़की जो ख्वाब हज़ारों रखती है....
रोती है, जब चाँद सिकुड़ता थोड़ा भी,
पर खुद हीं आफ़ताब हज़ारों रखती है....
क्या जाने, क्यों होठों पे सौ रंग भरे,
जब उन में गुलाब हज़ारों रखती है..
मैं क्या हूँ! गर्वीली अपने कदमों में
रुस्तम सौ, सोहराब हज़ारों रखती है..
वैसे तो गुमसुम रहती है लेकिन वो
इक आहट में आदाब हज़ारों रखती है..
-विश्व दीपक
-विश्व दीपक
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