कल वो मुझको याद करेगा
व्यर्थ आँसू बरबाद करेगा
कल सब-कुछ स्वीकारेगा वो
लेकिन आज फ़साद करेगा
लगता था उसका मैं भी कुछ
याद मौत के बाद करेगा
कुट्टी कर लेगा यदि मुझसे
फिर किससे संवाद करेगा
अब भी गर नाकाम रहा तो
नव साजि़श ईजाद करेगा
बस्ती में जो कर गुजरा वो
क्या कोई जल्लाद करेगा
व्यर्थ आँसू बरबाद करेगा
कल सब-कुछ स्वीकारेगा वो
लेकिन आज फ़साद करेगा
लगता था उसका मैं भी कुछ
याद मौत के बाद करेगा
कुट्टी कर लेगा यदि मुझसे
फिर किससे संवाद करेगा
अब भी गर नाकाम रहा तो
नव साजि़श ईजाद करेगा
बस्ती में जो कर गुजरा वो
क्या कोई जल्लाद करेगा
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