Tuesday, June 1, 2010

डॉ. राहत इन्दौरी





तूफानों  से  आंख  मिलाऊँ , सैलाबों  पे  वार  करूं...

मल्लाहों  का  चक्कर  छोडू तैर  के   दरिया  पार  करू...

 
फूलों  की  दुकाने  खोलो खुशबू का  ब्यापार  करू...
 
इश्क  खता  है  तो  ये  खता,  एक  बार  नहीं  सौ  बार  करूं.


-राहत इन्दौरी

No comments:

Post a Comment