Monday, June 14, 2010

तुम्हारे प्यार की खुशबू


तुम्हारे प्यार की खुशबू, जेहन में तैरती मेरे;
 
सुबह हो शाम हो दिन हो, सदा रहती मुझे घेरे॥

 

तुम्हारी याद में खोया रहा मैं, क्यों यहाँ अक्सर
 
मिले जो खत मुझे तुमसे, निकलता हूँ उन्हें पढ़कर
 
तुम्हारी राह तकता हूँ, मुझे भी तक रही है वह
 
बनाऊँ किस तरह उन पर, तुम्हारे ख्वाब के डेरे
 
तुम्हारे प्यार की खुशबू, जेहन में तैरती मेरे...॥

 


बहुत बेचैन होता हूँ, अगर तुमको ना देखूँ तो
 
ये फूलों का मुकद्दर है, तुम्हारे पास फेंकूँ तो
 
उमंगों की कली, खिलकर मचलती है यहां अक्सर
 
तुम्हारे बिन सबेरे भी सताते हैं नजर फेरे
 
तुम्हारे प्यार की खुशबू, जेहन में तैरती मेरे ..॥

 


तुम्हें अब हो गई फुरसत, ह्रदय में छा रहे हो तुम
 
हिमालय से बही गंगा, बहाये जा रहे हो तुम
 
चलो अब सीपियाँ ढूढ़ें, चलो मोती कहीं चुन लें
 
तुम्हारे साथ चलकर हम, उतर जायें कहीं गहरे
 
तुम्हारे प्यार की खुशबू, जेहन में तैरती मेरे...॥

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