तन्हाई को टा टा कर
कुछ तो सैर सपाटा कर
फटे पुराने चाँद को सी
अपनी रातें काटा कर
आवाज़ों में से चेहरे
अच्छे सुर के छाँटा कर
बेचैनी को चैन बना
दिल के ज्वार को भाटा कर
दिल की बातें सुननी हैं?
दिल में ही सन्नाटा कर
आवारा बन जा, नज़रें
खिड़की-खिड़की बाँटा कर
माना कर सारी बातें या
सारी बातें काटा कर
आँच चिढ़ाती है "आतिश "
तू लौ बन कर डाँटा कर
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