Thursday, June 10, 2010

अपनी रातें काटा कर



तन्हाई को टा टा कर
 
कुछ तो सैर सपाटा कर

 
फटे पुराने चाँद को सी
 
अपनी रातें काटा कर

 
आवाज़ों में से चेहरे
 
अच्छे सुर के छाँटा कर

 
बेचैनी को चैन बना
 
दिल के ज्वार को भाटा कर

 
दिल की बातें सुननी हैं?
 
दिल में ही सन्नाटा कर

 
आवारा बन जा, नज़रें
 
खिड़की-खिड़की बाँटा कर

 
माना कर सारी बातें या
 
सारी बातें काटा कर

 
आँच चिढ़ाती है "आतिश "
 
तू लौ बन कर डाँटा कर

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