" वीणा वादिनी वर दे ।
प्रिय स्वतंत्र रव , अमृत मंत्र नव ,
भारत में भर दे , वर दे ।
वीणा वादिनी वर दे ॥
काट अंध उर के बंधन स्तर ,
बहा जननि ! ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष भेद , तम हर , प्रकाश भर
जगमग जग कर दे ।
वीणा वादिनी वर दे ॥
नव गति , नव लय , ताल छंद नव ,
नवल कंठ , नव जलद , मंद्र रव
नव नभ के नव विहग वृन्द को
नव पर , नव स्वर दे , वर दे
वीणा वादिनी वर दे ॥ "
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