छूटे हमसे अपने छूटे !
मासूमों के सपने टूटे !!
भद्दी गाली, झापड़, घुड़की !
बचपन की क़िस्मत में झिड़की !
सब दरवाजे बंद; चिढ़ाए
हमको हर घर की हर ख़िड़की !
नज़र हमें आते हैं जब तब
हाथ-हाथ में पांच अंगूठे !!
किस-किस से की हाथापाई !
बीन के कचरा, रोटी खाई !
सिक्के चार हाथ में आए;
हाय! छीन ले पुलिस कसाई !
ऊपर से थाने ले जा कर
नंगा कर के बेंत से कूटे !!
बाबूजी कुछ काम दिला दें !
गाड़ी धो दूं, चाय पिला दें !
भले-भले लोगों की हरकत ?
हैवानों के हृदय हिला दें !
इज़्ज़त वाले अवसर पा'
बेबस बचपन की अस्मत लूटे !!
खूटे जग से सच्चे खूटे !
बाकी रह गए लम्पट झूठे !
हमसे ईश्वर-अल्ला रूठे !
भाग हमारे बिल्कुल फूटे !
गड़ते जाएंगे छाती में
इक-इक दिन में सौ-सौ खूँटे !!
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