Thursday, May 20, 2010

इश्क सचमुच इक बला है

इश्क सचमुच इक बला है

खुद मजा है,खुद सजा है



हो गई फ़िर से खता है

दिल तुझे जो दे दिया है



इश्क सचमुच इक बला है

रोग भी खुद,खुद दवा है



गम से बचकर है निकलना

प्यार ही बस रास्ता है



आ रही शायद वही है

दिल मेरा जो झूमता है



है हसीं अपनी धरा ये

चाँद पीछे घूमता है



ढूंढता है ‘श्याम किसको

दिल हुआ क्या लापता है

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