Monday, May 31, 2010

क्या लिखूँ


कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
 

या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
 

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
 

मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
 

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
 

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
 

मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
 

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
 

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
 

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
 

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
 

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
 

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
 

गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
 

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
 

मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ॰॰॰

2 comments:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  2. कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी

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