Tuesday, May 25, 2010

हर रस्ते की एक कहानी लगती है


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ये जोड़ी इक राजा रानी लगती है
 
सीधी सादी एक कहानी लगती है

 
दिल भी कितनी बार सुने, झेले इसको
 
धड़कन की हर बात पुरानी लगती है

 
जंगल, वादी, सहरा दरिया ..सब सहरा
 
मुझको तेरी गोदी धानी लगती है

 
बात बुजुर्गों की सुनता है कौन भला
 
बच्चों की बातें, नादानी लगती है

 
आवाजों के जमघट में सन्नाटा है
 
कुछ तो इसने मन में ठानी लगती है

 
मुझे खबर है, खुदा है, वो ना आयेगा
 
उसकी "हाँ" भी "आनाकानी" लगती है

 
आज समन्दर ने उसको कुछ यूँ देखा
 
नदिया शर्म से पानी-पानी लगती है

 
दिल के सेहन में शब भर महकी जाती है
 
बात तुम्हारी रात की रानी लगती है

 
चौराहों पर मिल कर कहते सुनते हैं
 
हर रस्ते की एक कहानी लगती है

 
थोड़ी आँच ज़रा रौशनी और धुआँ
 
"आतिश" की हर इक शय फानी लगती है

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