उम्र के धूप चढ़ल, धूप सहाते नइखे
हमरा हमराही के इ बात बुझाते नइखे
मंजिले इश्क में कइसन इ मुकाम आइल बा
हाय ! हमरा से “आई.लव.यू” कहाते नइखे
देह अइसन बा कि ई आँख फिसल जाताटे
रूप अइसन बा कि दरपन में समाते नइखे
जब से देखलें हईँ हम सोनपरी के जादू
मन बा खरगोश भइल जोश अड़ाते नइखे
कइसे सँपरेला अकेले उहां प तहरा से
आह! उफनत बा नदी, बान्ह बन्हाते नइखे
साथ में तोहरा जे देखलें रहीं सपना ओकर
याद आवत बा बहुत याद ऊ जाते नइखे
हमरा डर बा कहीं पागल ना हो जाए ‘भावुक’
दर्द उमड़त बा मगर आँख लोराते नइखे
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