झूठ कभी मुझको रास नहीं आया
सच सुनकर कोई पास नहीं आया
कौन भला समझे अब दुख हाकिम का
हुक्म बजाने को दास नहीं आया
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया
पाँव बुजुर्गों के दाबे हैं हमने
यार हुनर यह अनायास नहीं आया
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
धन्नो हिस्से अवकाश नहीं आया
‘आम‘ सभी बिकते हैं बेभाव यहाँ
`श्याम `कभी बिकने ‘खास‘ नहीं आया
सच सुनकर कोई पास नहीं आया
कौन भला समझे अब दुख हाकिम का
हुक्म बजाने को दास नहीं आया
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया
पाँव बुजुर्गों के दाबे हैं हमने
यार हुनर यह अनायास नहीं आया
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
धन्नो हिस्से अवकाश नहीं आया
‘आम‘ सभी बिकते हैं बेभाव यहाँ
`श्याम `कभी बिकने ‘खास‘ नहीं आया
No comments:
Post a Comment