Monday, May 31, 2010

सरस्वती वंदना

" वीणा वादिनी वर दे ।
 

प्रिय स्वतंत्र रव , अमृत मंत्र नव ,
 

भारत में भर दे , वर दे ।
 

वीणा वादिनी वर दे ॥

 


काट अंध उर के बंधन स्तर ,
 

बहा जननि ! ज्योतिर्मय निर्झर
 

कलुष भेद , तम हर , प्रकाश भर
 

जगमग जग कर दे ।
 

वीणा वादिनी वर दे ॥

 

नव गति , नव लय , ताल छंद नव ,
 

नवल कंठ , नव जलद , मंद्र रव
 

नव नभ के नव विहग वृन्द को
 

नव पर , नव स्वर दे , वर दे
 

वीणा वादिनी वर दे ॥ "

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