Friday, February 25, 2011

यूँ ही आँगन में बम नहीं आते

जो तेरे दर पे हम नहीं आते
तो खुशी ले के गम नहीं आते

बात कुछ तो है तेरी आँखों में
मयकदे वरना कम नहीं आते

कोई बच्चा कहीं कटा होगा
गोश्त यूँ ही नरम नहीं आते

होगा इंसान सा कभी नेता
मुझको ऐसे भरम नहीं आते

आग दिल में नहीं लगी होती
अश्क इतने गरम नहीं आते

कोइ कहीं भूखा सो गया होगा
यूँ ही जलसों में रम नहीं आते

प्रेम में गर यकीं  हमें  होता
इस जहाँ में धरम नहीं आते

कोइ अपना ही बेवफ़ा होगा
यूँ ही आँगन में बम नहीं आते

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