Saturday, March 19, 2011

हिज्र का भी नसीब होता है।







दिल का रिश्ता अजीब होता है
दूर  है जो,  करीब होता है।

तन्हा रातों में चाँद भी तनहा
हिज्र का भी  नसीब होता है।

जानो दिल से जिसे भी चाहोगे
खुलूसे दिल का रक़ीब होता है।

देख लेगा  बिना  बहे  आँसू
माँ का दिल भी अजीब होता है।

शाख़े-गुल आँधियों में टूटेगी
सबका अपना सलीब होता है।

ख्वाब में रोटियाँ ही दिखती हैं
आदमी जब  ग़रीब होता है।

यूँ तो दिखता नहीं है वो ‘इबरत’
फिर भी मेरे क़रीब  होता है।

 -सुवर्णा शेखर दीक्षित

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